तस्वीरों की जुबानी हिंसा की कहानी: पल भर में खाक़ हो गए खून-पसीने की कमाई से खरीदे गए ये वाहन

कितनी मिन्नतों के बाद आशीष के पापा उसे एक बाइक दिलाने को राजी हुए थे। ....कितनी मेहनत के बाद चौधरी साहब ने गाड़ी खरीदी थी और सरदार जी की पुरानी स्कूटी उनकी लाडली थी जिसके सहारे वे शहर के दूसरे कोने पर बसे अपने दोस्त इमरान का हाल-चाल ले आते थे, लेकिन शुक्रवार का वो मनहूस दिन आया जब नमाज के बाद एनआरसी और सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने निकली भीड़ अचानक हिंसक हो गई और जमकर आगजनी हुई। कड़ी मेहनत, खून-पसीने की कमाई से खरीदे गए ये वाहन बवाल की आग में जलकर राख हो गए। आगे तस्वीरों में देखें आखिर कैसे हिंसा के दौरान देखते ही देखते जला दिए गए कितने ही वाहन :-












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